Wednesday, August 3, 2011

खामोश

खामोश
जब भी मैने खामोश तन्हाई पाई है
दिल मे जज्बातों ने आग सी लगाई है
ख़ुशी मिली मुझे ,मै उसे मिला नही
ख़ुशी मेरे पास आके सदा पछताई है
कुछ लोगो को जीने का हक नही होता
हम जेसों ने जिन्दगी पाई नही गवाई है
जब जिन्दगी मिली ना मै किसी से मिलता केसे
हर शक्स तो यही समझा के सोदाई है
दिल पे जख्म शिकस्त का ऐसा हुआ
हर तमन्ना होंठो पे आके थरथराई है
मेरा कोई अपना हुआ तो गम हुआ
वरना दुनिया मे हर चीज पराई है
जब हिमत रही होसला ना रहा
उस की चाहत ने कहा अब तुम्हे रिहाई है
किसी ने हल ना पूछा मन के बीमार का
अब बीमार है ,उस की साथी चारपाई है
हाय मन इतना हीनता ग्रस्त हुआ
के मेरी जिन्दगी सदा जीने से घबराई है
जिन्दगी दे के वो जीने नही देता अर्पण
समझ नही आता उसकी केसी खुदाई है
राजीव अर्पण


1 comment: