ओरत
जज्बातों को मिटा दो
यह दोर दोरे दोलत है
मुहबत को ओरत का नाम ना दो
जो बिकी वो ओरत है
धर्म ,न्याय ,इमान और इन्सान
यहा सब कुछ बिक रहा है
यह मन के दोलत से अर्पण
इंसान की दूर - दूर तक शोरत है
राजीव अर्पण
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मायूसी
मायूसी बडती जाये गी
मायूसी की बात ना करना
दर्द भी हो जो सिने मे
हस देना आह ना भरना
प्यार भरी अदायो ने
अर्पण लुटा है कई बार
अब इन से प्यार ना करना
इन की खातिर ना मरना
राजीव अर्पण
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