शाम शमेगी आई
मै शाम शमेगी आई
शमेगी आई
सब के दिलो को मै ही भाई
एडी से जब जमीन हिलाई
मै शाम शमेगी आई
शमेगी आई
झूमी नाची और गाई
दुनिया पे मै ही छाई
मै शाम शमेगी आई
शमेगी आई
शाम के संग लीला रचाई
हर घर मे धूम मचाई
मै शाम शमेगी आई
शमेगी आई
सब के दिल मे ,मै समाई
जब मेने ली अंगडाई
मै शाम शमेगी आई
शमेगी आई
जवानी की भीड़ मे
मै तो सुक्चाई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
बूडो के अरमानो पे
हाय मै तो लजाई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
नोटों की गडिया
मेरे हुस्न पे लुटाई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
सब को नचा के
धीरे से उठाई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
तोड़ जा मेरी तन्हाई
और न कर रुसवाई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
दुनिया सारी ठहराई
माथे पे जो बिंदिया लगाई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
जवानी मुझ पे लुटाई
मैंने जो चुनरिया हटाई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
सब की पतंग कटाई
जब मैंने जुल्फ लहराई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
अर्पण से प्रीत लगाई
गोद मे ,मै अलसाई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
राजीव अर्पण
FACE BOOK I CREATE A GROUP ARPAN WRITE MY FOLLOWER ADD TILL NOW 1700 MEMBER NOW FACEBOOK DELETE MY GROUP FROM MY PAGE SO I WANT TO DE-LINKED FROM FACEBOOK EVEN NOW FACEBOOK NOT CIRCULATE MY POEM PROPERLY BECAUSE I WRITE TRUE TO TRUE RAJIV ARPAN
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