Thursday, June 30, 2011

सवालों की तरह

सवालों की तरह
तुम गुजरे मेरी जिदगी से ख्यालो की तरह
चंद यादे है तेरी मेरे पास सवालों की तरह
क्या था तेरा प्यार ,क्या दीवानगी तेरी
तुमने देखा मुझे देखने वालो की तरह
मुझ मे है मय इसे पियो रिन्दों
मेरी जिन्दगी से निभाई तूने प्यालो की तरह
प्यारा सा घर था मेरे अरमानो का सनम
उस पे मेरे हालात थे बंद तालो की तरह
जवानी मे लगा था अब खा छोड़ेगा अर्पण
प्यार जिन्दगी को खा गया जनगालो की तरह
राजीव अर्पण
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गम ना कर
आखिर मार ही डाले गा तेरा गम ,गम ना कर
मुझे यू जिन्दा देख के ,परेशान ना हो आहे भर
मेरा दिल जलाया तूने तो मै भी जल जाऊ गा
जालिमो की बस्ती मे उजड़ के ही रहे गा मेरा घर
राजीव अर्पण

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