कुछ
गम था बस एक तेरा गम था
दुनिया भर का गम न था
और कोई हमदम ना था
क्या यह कम ना था
लोटा दे वो मेरा गम लोटा दे
छिन्न ले या रब ये सारी खुशिया
मुझे मेरा हमदम लोटा दे
राजीव अर्पण
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ना
रोना चाहिये था मगर रो ना सका
जो होना चाहिये था वो हो ना सका
राजीव अर्पण
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शायद
जिन्दगी के बाद शायद
मोंत इतनी हसीन है
के जहा से कभी कोई
वापिस ना आया
राजीव अर्पण
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