स्वर्ग की राह
नर्क छोड़ स्वर्ग की राह पे चल
नाकामियों पे मेरे दिल ना जल
कभी खुशिया तो कभी गम
यही तो है तेरे कर्मो का फल
कभी दुखो मे भटकता है मन
कभी सुखो के चश्मों से फूटता है जल
आज ही अभी जी ले अर्पण
क्यों टालता है जीना कल पे कल
मुसीबतों से लोहा लेना सीख
प्रभु ने दिया है तुझे बहुत बल
ना घबरा मुश्किलों को देख कर
होसले से हो जाता है सब का हल
आज हिंदी दिवस तथा ईंजिरिंग दिवस को
समर्पित जिस से यह संभव हुआ
राजीव अर्पण
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