फितरत होगी
मुझ से आ के मिल तुम्हे कश्दत होगी
शायद तुम को भी मुझ से मुहबत होगी
तू ना मिली मुझ को गम होगा जानेमन
कहा भूले गा गम मेरे जीने की फितरत होगी
अब तुम खोये हो जवानी के सरुर मे सनम
मिलना जब कभी मिलने की फुर्सत होगी
मुझे मिलने से तुम्हे क्या रोके है सनम
सुंदर हू संजीदा हू तेरे सामने मेरी ग़ुरबत होगी
गम उठाने का सिला तुम्हे ना देगा अर्पण
मेरा नसीब और यही उसकी कुदरत होगी
भगवान ,कुदरत ,नसीब किस को माने है
बस तेरे आगे यही ना कहने की जुरत होगी
राजीव अर्पण
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ReplyDeletebahut khoob:-)
ReplyDeleteतू ना मिली मुझ को गम होगा जानेमन
ReplyDeleteकहा भूले गा गम मेरे जीने की फितरत होगी .........
गम उठाने का सिला तुम्हे ना देगा अर्पण
मेरा नसीब और यही उसकी कुदरत होगी
BEHTARIN RACHNA
बहुत खूब .सुन्दर प्रस्तुति. आपको होली की हार्दिक शुभ कामना .
ReplyDeleteहमन है इश्क मस्ताना, हमन को होशियारी क्या ?
ReplyDeleteरहें आजाद या जग से, हमन दुनिया से यारी क्या ?
जो बिछुड़े हैं पियारे से, भटकते दर-ब-दर फिरते,
हमारा यार है हम में हमन को इंतजारी क्या ?
खलक सब नाम अनपे को, बहुत कर सिर पटकता है,
हमन गुरनाम साँचा है, हमन दुनिया से यारी क्या ?
न पल बिछुड़े पिया हमसे न हम बिछड़े पियारे से,
उन्हीं से नेह लागी है, हमन को बेकरारी क्या ?
कबीरा इश्क का माता, दुई को दूर कर दिल से,
जो चलना राह नाज़ुक है, हमन सिर बोझ भारी क्या ? ___कबीर
thanks yashoda and all friends for apriation thans alot
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