Monday, August 29, 2011

हसीन याद

हसीन याद
उसकी हसीन याद आती रही
हसीन ख्वाब दिखाती रही
एक हसीन दर्द देती रही
दिल मेरा दुखती रही
जिन्दगी को तमना से मीनता रहा
जिन्दगी सुकडती रही सुक्चाती रही
जिन्गदी ख्वाबो से मेल खाती नही
यह सोच मुझे तडपती रही
मैंने जिन्दगी जी , ओह जी के नही
घुटती रही , शर्माती रही
हीनता का जख्म रिसता ही रहा
एक प्यास मुझे सदा सताती रही
राजीव अर्पण
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उदास राहे
उदास दिल और उदास राहे
धडकता दिल और सिसकती आहे
हाय अर्पण हम अपनी कहानी
किस- किस को जा के सुनाये
राजीव अर्पण

Friday, August 26, 2011

ओरत

ओरत
जज्बातों को मिटा दो
यह दोर दोरे दोलत है
मुहबत को ओरत का नाम ना दो
जो बिकी वो ओरत है
धर्म ,न्याय ,इमान और इन्सान
यहा सब कुछ बिक रहा है
यह मन के दोलत से अर्पण
इंसान की दूर - दूर तक शोरत है
राजीव अर्पण
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मायूसी
मायूसी बडती जाये गी
मायूसी की बात ना करना
दर्द भी हो जो सिने मे
हस देना आह ना भरना
प्यार भरी अदायो ने
अर्पण लुटा है कई बार
अब इन से प्यार ना करना
इन की खातिर ना मरना
राजीव अर्पण

Tuesday, August 23, 2011

प्यास

प्यास
एक प्यास जो बुझती नही कभी
वो उमर जो भूलती नही कभी
जो जिन्दगी हसीन सपनों मे खो गई
वो हकीकत मे क्यों भूलती नही कभी
वो अपने घर खुश तू अपने घर
पत्थर मे मोम घुलती नही कभी
यह दुनिया फरेबो -छल की अर्पण
सच्चाई की तस्वीर उभरती नही कभी
यह नशे-मन चिलमन तुझे तेरे प्यार का है
प्यार वो अग्नि है अर्पण जो भुझती नही कभी
राजीव अर्पण

Saturday, August 20, 2011

सुन ले गा

सुन लेगा
जो कहोगे क्या चुपचाप सुन लेगा अर्पण
वो इंसान है हो सकता मूर्ति कभी नही
कोमल संगमरमरी बदन तराशा खुदा ने
बिना खशबू कली दिल मे उतरती नही कभी
जो जन्म ले दब जाये दुनिया के वेभव मे
वो कली शान से खिलती नही कभी
जो जिन्दगी हम तुम से चाहते है खुदा
वो जिन्दगी क्यों कर हमे मिलती नही कभी
बेदर्द -बेवफा बिक जाते होंगे चंद सिक्को मे
मासूम , शर्मीली इंसानियत बिकती नही कभी
झुका दिया मेरे हालत ने मझे को अर्पण
मगर मेरी आबरू झुक सकती नही कभी
जिन्दगी बंट गयी हसीन ख्वाबो मे अर्पण
अर्पण अब वो सिमटे सिमट-ती नही कभी
तू तो चाहे तुझे छीन लू दुनिया से मै
तुझे छल से छिनु यह उमंग उमड़ती नही कभी
राजीव अर्पण

Thursday, August 18, 2011

दिल का कहा

दिल का कहा
तुने आज तलिक दिल का कहा माना है
जो तेरे दिल ने कहा ,उसी को अपना जाना है
वो लाख आपना हो मगर आपना नही अर्पण
वो तेरी मानता नही बोलता फिर नही बेगाना है
तुने तो लुटा दी जिन्दगी उस की खातिर यू ही
तू उस को चाहता है ,तू उस का दीवाना है
मस्ती है तेरे खून मे उस के प्यार की अर्पण
कोण तुझे प्यार करे ,तू उस का इतना दीवाना है
उस की यादे ,उसकी बाते ,उसी की मुस्कुराहठे
बस तेरे पास अर्पण यही जिन्दगी का खजाना है
राजीव अर्पण

Wednesday, August 3, 2011

खामोश

खामोश
जब भी मैने खामोश तन्हाई पाई है
दिल मे जज्बातों ने आग सी लगाई है
ख़ुशी मिली मुझे ,मै उसे मिला नही
ख़ुशी मेरे पास आके सदा पछताई है
कुछ लोगो को जीने का हक नही होता
हम जेसों ने जिन्दगी पाई नही गवाई है
जब जिन्दगी मिली ना मै किसी से मिलता केसे
हर शक्स तो यही समझा के सोदाई है
दिल पे जख्म शिकस्त का ऐसा हुआ
हर तमन्ना होंठो पे आके थरथराई है
मेरा कोई अपना हुआ तो गम हुआ
वरना दुनिया मे हर चीज पराई है
जब हिमत रही होसला ना रहा
उस की चाहत ने कहा अब तुम्हे रिहाई है
किसी ने हल ना पूछा मन के बीमार का
अब बीमार है ,उस की साथी चारपाई है
हाय मन इतना हीनता ग्रस्त हुआ
के मेरी जिन्दगी सदा जीने से घबराई है
जिन्दगी दे के वो जीने नही देता अर्पण
समझ नही आता उसकी केसी खुदाई है
राजीव अर्पण


Tuesday, August 2, 2011

इजहार है

इजहार है
मै नही यह 'मै' उसका इजहार है
यह जिन्दगी मेरी नही उस का ऊपहार है
चल पड़ा है सुनसान रहो पे एक अजनबी
देखते है उस को होता कब दीदार है
सपना ही है यू तो सारी जिन्दगी
तेरे संग वो हसीन पल फिर भी यादगार है
शिकवा ना कर शिकायत ना कर
ना कह वो हमदम है या सितमगार है
अर्पण के पास क्या है अर्पण के सिवा
फिर क्यों मुझे मुझी से प्यार है
यह ठोकरे भी है रहमत उसी की
उस की हर बात पे कह मुझे इकरार है
नर्क है जलना खुद मै ही जलना
ना झगड़ खुद से यह स्वर्ण है हरिद्वार है
राजीव अर्पण