Sunday, July 31, 2011

आहे

आहे
फिकर है तेरी तमना की
मुझे इस जहा से क्या
अर्पण दिल की बात जाने है
उसे तेरी झूठी जुबान से क्या
राजीव अर्पण
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हमे क्या पता ख़ुशी होती क्या है
आपना तो वास्ता सदा गम से रहा
उन्होंने तो उड़ाया था मजाक मेरा
मेने बार-बार पूछा सनम क्या कहा
राजीव अर्पण
हम शिकवा बियान कर सके बे-दर्द जमाने
हम जी रहे है जला-जला के दिल के आशियाने
यह बात नही अब की ,जब से होश सभाला है
मेरे अहिसास मेरे जज्बात लगे है ठोकरे खाने
आवाज सिसकिया ,जज्बे शिकस्त से भरी आंखे
मेरी गमगीन दुनिया कोई ना समझे कोंई ना जाने
बसकर अर्पण अनजाने
राजीव अर्पण

तडपा

तडपा


उन को पाने को दिल तडपा है


साथ निभाने को दिल तडपा है


उन को देख कर चेहरा गमगीन किया


साथ मुस्कुराने को दिल तडपा है


हम बेठे है उनसे मुख मोड़ कर


वहाने बनाने को दिल तडपा है


मालूम है यह छोड़े गा ना कही का


मुझे तडपाने को दिल तडपा है


तन्हा रहे दिल रखा अपने पास


जिन्दगी साथ निभाने को दिल तडपा है


कल जो दर्द हुआ ,उनकी बातो से


वह दर्द छुपाने को दिल तडपा है


हम दो जिस्म अब एक रूह बने


साथ मर जाने को दिल तडपा है


वो जो अदायो से खेलते है दूर-दूर


पास बुलाने को दिल तडपा है


हा अर्पण तुम्हे हरगिज पाना होगा


मर मिट जाने को दिल तडपा है


राजीव अर्पण








वो कोन

वो कोन
वो कोन है जो तेरे दिल को गम दिये जाता है
उस का नाम तेरे दिल से होठो पे क्यों नही आता है
तू लाख वहाने बना के तू उस को चाहता नही
आखिर दिल मे दिल से वो तुम्हे भाता है
ना गिर तू इतना ना गिर तू उस के लिये
यह सोच कर के वो कब तुम्हे उठाता है
ना जा दूर उनके पहलू मे ही है जीवन तेरा
वो ही जाये गे ,क्यों फासले इतने बडाता है
तुम रुसवा हम से ,हमारी बे-बफा हरकत से
यह भी सोच अर्पण जल के तुम्हे जलाता है
तुम ना आये तो हम ने गारो को दी सदाये
तुम ने कब अमल किया के अर्पण तुम्हे बुलाता है
तुम्हे भुलाना महज यह शिकवा है सनम
वरना दिल से कोन तुम्हे भुलाता है सनम
सच बे दर्द अर्पण अंदर से तो मरा जाता है
राजीव अर्पण

Wednesday, July 27, 2011

तरगे

तरंगे




तेरी आँखों से जो निकलती है तरंगे




मेरा दिल तरंगे झंझोड़ जाती है




तेरे अंग अंग से जो निकलती है उमंगें




दिमाग का दिल से रिश्ता तोड़ जाती है




तुम्हे पाने की तडप तुम्हे मिलाने की ललक




हाय इतनी बेताबी मुझे नचोड़ जाती है




राजीव अर्पण

Wednesday, July 6, 2011

खुमार लू

खुमार लू
आजा तेरे रूप का खुमार लू
बाहों मे भर के तुम को दुलार लू
छूह के तुम को जिन्दगी सवार लू
तडप छोड़ के थोडा सा करार लू
जिन्दगी हो तुम ,तुम को पुकार लू
प्यार हो तुम ,तुम से प्यार लू
बहार हो तुम ,तुम से बहार लू
हुस्न हो तुम ,तुम से खुद को सवार लू a
तेरे हसीन हुसन का दीदार लू
जी भर के तुम को दुलार लू
मेरा इश्क हो तुम जिन्दगी सवार लू
प्यार लू,बहार लू करार लू
आजा तेरे रूप का खुमार लू
राजीव अर्पण
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तुम ने मेरा प्यार
मैंने तेरी नफरत ठुकरा दी
देख मेरे हमदम
दुनिया कितनी हसीन बना दी
राजीव अर्पण

Tuesday, July 5, 2011

परम

परम
नही थे नही रहे गे
बस बिच का सफर है
तन्हा हो या उदास
मेले मे हो या उलास मे
बस बिच का सफर है
नही थे नही रहे गे
मगर वो है था रहेगा
है भी सत्य होगा भी
राजीव अर्पण
हू
ना हो के भी मै हू
वो मेरे पास आया है
यह उस की माया है
भरम जाल बनाया है
राजीव अर्पण
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पैसा
पैसा जीने के लिए है
मै इस के लिए मर रहा हू
ओह मेरे खुदाया देख
यह मै क्या कर रहा हू
राजीव अर्पण

समझाता हू

समझाता हू
खुद को ही सारा दिन समझाता रहता हू
उठती है जो तमन्नाये उन्हें दबाता रहता हू
तुम ने क्या किया दिल तुम्हे करना था क्या
इसी से इस की बाते दोहराता रहता हू
मै बुज दिल ने दिल के लिये कुछ ना किया
बे-बजह ही बेचारे को सताता रहता हू
मसीहा यहा मुझे बनाये गा कोन
मै तो खुद ही खुद को मिटाता रहता हू
दिल ने जब तमन्ना की मैंने जहर दिया
इस की हर तमन्ना को जहर पियाता रहता हू
कोई आशा का दिया जला के मुझे केसे रोशन करेगा
सर्द आहो से उसे मै बुझाता रहता हू
दिल कुछ करने को कहता है तो कर सकता मै नही
उलझाता रहता हू , इसे कहानिया सुनाता रहता हू
अगर मुझ से उठ कर कोई गलत बात पूरी करले
इसे याद दिलाता रहता हू ,तदफाता रहता हू
अश्को का पानी भी मैंने इसे कभी ना दिया
खून पिलाता रहता हू बहार मे मुरझाता रहता हू
अर्पण गम बताने से दिल होगा हल्का
किसी को नही बस इसी को गम बताता रहता हू
राजीव अर्पण

Saturday, July 2, 2011

गिला

गिला
तुम से क्या गिला जो जिन्दगी रूठ गई
हम दीवाने होते ही है जिन्दा दबाने के लिये
मै अपनी गमगीन जिन्दगी पे रोया नही
इतने दर्दीले अश्क ना थे बहाने के लिये
सच मेरे महबूब हम दिल से रूठे ना थे
हम तो रूठे थे सिर्फ तुम्हे मनाने के लिये
उस प्यारे से मुखड़े पर गिला केसे करू
उसी ने मुझे पास बुलाया ठुकराने के लिये
हम क्या है हम खु भी नही जानते अर्पण
सुना है बांबरे ठहरे इस जमाने के लिये
तन्हा मे बे-रह्मिया जानी मुहब्बत की मैंने
अब मुझे प्यार ना कर और सताने के लिये
तेरी बे -वफाई ने सारी दुनिया बे-वफा बना दी
कोइ मेरे पास ना आये मुझे समझाने के लिये
बिना मकसद बिना बात गजले लिखता नही अर्पण
तुम्हे याद करने का बहाना बनाने के लिये
राजीव अर्पण

शाम शमेगी आई

शाम शमेगी आई
मै शाम शमेगी आई
शमेगी आई
सब के दिलो को मै ही भाई
एडी से जब जमीन हिलाई
मै शाम शमेगी आई
शमेगी आई
झूमी नाची और गाई
दुनिया पे मै ही छाई
मै शाम शमेगी आई
शमेगी आई
शाम के संग लीला रचाई
हर घर मे धूम मचाई
मै शाम शमेगी आई
शमेगी आई
सब के दिल मे ,मै समाई
जब मेने ली अंगडाई
मै शाम शमेगी आई
शमेगी आई
जवानी की भीड़ मे
मै तो सुक्चाई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
बूडो के अरमानो पे
हाय मै तो लजाई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
नोटों की गडिया
मेरे हुस्न पे लुटाई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
सब को नचा के
धीरे से उठाई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
तोड़ जा मेरी तन्हाई
और कर रुसवाई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
दुनिया सारी ठहराई
माथे पे जो बिंदिया लगाई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
जवानी मुझ पे लुटाई
मैंने जो चुनरिया हटाई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
सब की पतंग कटाई
जब मैंने जुल्फ लहराई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
अर्पण से प्रीत लगाई
गोद मे ,मै अलसाई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
राजीव अर्पण