Tuesday, May 31, 2011

इन्तहा

इन्तहा
मेरी जान प्यार की इन्तहा कर दो
वही जान निकले ,वही नक्श धर दो
मै तेरे प्यार से डगमगा सा गया हू
दुनिया से खिचो,इश्क रगों मे भर दो
दुनिया मे सजनी बहुत प्यारी है चीजे
सब से प्यारा इश्क मेरे साथ वर दो
मै हँसते -हँसते जन्जाले दुनिया को छोडू
अपने दिल को मुझे छोटा सा घर दो
जलन से अर्पण दर बदर ना भटके
खुला जो इसे तुम अपना दर दो
राजीव अर्पण
*****शरिया सरन को समर्पित
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नया
नया -नया कुछ नया होना चाहिये
मुझे तुम मे ,तुमे मुझ मे खोना चाहिये
हा तक़दीर के बारे सोचे गे कभी अर्पण
हर वक्त तकदीर पे नही रोना चाहिये
शरिया सरन को समर्पित
राजीव अर्पण

Monday, May 30, 2011

गीत मेरा

गीत मेरा
अब तुमे और तुम्हारे सपने
याद करते हुए डर सा लगता है
कही देख के हसीन रगीन दुनिया
दिल यह गमगीन दुनिया ना लुटा बेठे
अब तुमे और तुम्हारे सपने
अब जवानी का वो खून ना रहा
वो बे-फिकरिया सकून ना रहा
फर्क देख के जमीन असमान सा
दहशत से दिल,दिल ना बेठा बेठे
अब तुमे और तुम्हारे सपने
ख्वाब हकीकत ना हो के जहर बन गये है
जो थे दिल का सकून कहर बन गये है
उन मे जीना फिर भी इस से बेहतर है
डर है हकीकत मे जिन्दगी ना गवा बेठे
अब तुमे और तुम्हारे सपने
तुमे याद कर के जीना अच्छा लगता है
आहे भर के आंसू पीना अच्छा लगता है
याद वेसे नही आती ,वो दीवानगी नही छाती
जेसे तुम से उससे भी ठोकर खा बेठे
अब तुमे और तुम्हारे सपने **
राजीव अर्पण

गम मे

गम मे
उसके ही गम मे पीता हू ,उस से ही डरता हू
इश्क मे ना जाने यह मै क्या करता हू
उसने ठुकराया तो मै गिरा दिल की अँधेरी गुफा मै
अब देखिये कब रौशनी मिले जिन्दगी मै कब संभलता हू
मै बहकता ही चला गया दिल मै उस के ख्वाब सजा
वो हकीकत हुए ,मै डूब गया ,अब देखो कब उभरता हू
उसके सामने फरियाद क्या ,हम हुक्मरा हो के बोले
अब तन्हा मे ,मै क्यों कर उसके लिए आहे भरता हू
मै जिन्दगी की हसीन खुशिया चाहता हू मानने के लिये
अर्पण इसी एहसास से जीने के लिए मरता हू
राजीव अर्पण

आहट

आहट
दिल मे उनके आने की आहट है
ना जाने क्यों मुझे घबराहट है
हमने जीना सीखा दिल जला के
दिल मे दर्द होठो पे मुस्कुराहट है
दिल से दोनों चाहे है एक दूजे को
मगर ऊपर से ना चाहने की बनावट है
गम हम को तेरा है इतना प्यारा
के चेहरे पे इस की सजावट है
अर्पण उनसे बिछुड़ के जीते है केसे
यह चहकना खेलना सिर्फ दिखावट है
राजीव अर्पण
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जिन्दगी
जिन्दगी जंगल ,हर तरफ कांटे ,पावो को नोचे गे
दुनिया भीड़ जालिमो की .सदा जख्मो को खरोचे गे
कोइ सुंदर सी सोच पूरी ना होगी जिन्दगी मे
फिर हर पल हर घड़ी नई सोच क्यों हम सोचे गे
राजीव अर्पण

केद किये

केद किये
केद किये जा रही है ,तेरी याद मझे
रहने दे परिंदों की तरह आजाद मुझे
तन्हा मै दिल कहता है तुमे पाने को
कभी रुब-रूह करने दे फरियाद मुझे
ले ले मेरे दिल से अपनी चाहत वापिस
यह ना छोड़े गी कही का ,कर दे गी बर्बाद मुझे
दिल की बस्ती उजड़ी तो उजड़ जाऊ गा मै भी
उजड़ने से बचा कर दे आबाद मुझे
दिल भी मेरा साथ उम्र भर ना देगा अर्पण
एक बार सुन लो ना सुनना इस के बाद मुझे
राजीव अर्पण

तुम बचालो

तुम बचालो
मुझे तुम बचालो,मुझे तुम बचा दो
प्यार करके मुझ को जिन्दगी को सज़ा दो
कोई साहिल नही है ,बेबस जिन्दगी का
मेरे जीवन की नईया पार तुम लगा दो
मंजिल नही है ,है सिसकते अँधेरे
प्यार से भर के आंखे ख्वाब तुम दिखा दो
हाय सर्द जिन्दगी है ,चश्मे रुक गये है
बहार बन के आयो गुलशन खिला दो
बेबस आत्मा भी बे-आस हो गई है
फिर प्यार से पुकारो मेरी रूह को जगा दो
तडपता हुआ दिल अर्पण क्या खी लगे गा

Sunday, May 29, 2011

शायर

शायर
तेरे जुल्म को इस दिल पे सहूगा
मगर मै शायर हु , चुप -चाप ना रहूगा
हम गम खा के सदा जवान हुए है
तेर जुल्म की कहानी दुनिया से कहू गा
आत्मा अपनी जुल्मो से दबती नही
मै फनकार हु फन से तुम्हे जलील करू गा
रोये गी तेरी आत्मा जब मै गीत गाऊ गा
सजा बन के तेरी आँखों मै आंसू भरु गा
हम गम के बंजारे दुखियो का दर्द अपनाते है
अपने जुल्म से वो मरेगा ,अर्पण मै ना मरु गा
राजीव अर्पण
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जवानी
जवानी मे एहसास होता है हम भी कोई चीज है
सो गुनाह करने पे भी लगता है हम अभी पाकीज है
राजीव अर्पण

जमी पे

जमी पे
है दिल कशी जमी पे ,आसमा पे नही है
तभी तो हम ने तुम्हे अपना खुदा माना
दुश्मनी है तेरी दोस्ती से भी बेहतर
इसी लिये तुमको अपना मसीहा जाना
तेरे जुल्म पे भी हम को प्यार आता है
ऐसे नही कहती मुझे दुनिया तेरा दीवाना
हम तेरे जो बन गए अब ओर क्यों बनाता है
आज बहाना ,कल बहाना हर रोज तेरा बहाना
हेवानो के बीच है दुश्वार इंसानों का रहना
ना जाने क्यों हुआ जा रहा है हेवान यह जमाना
कारखानों मे मशीनों के शोर -गुल मे अर्पण
आज खो गया जवानों ,बच्चो का हसीन तराना
दिल मे प्यार हो तो जुबान से बयान कर दो
चाँद को चाहिए नही कभी बदलो मे छुपाना
भूले से कभी किसी से यह कह ना देना
रंगीन गलीचो के तले दबा है एक अफसाना
अर्पण को सारी दुनिया तो जाने है सनम
एक तू ही तो है जिस ने उस को ना पहचाना
राजीव अर्पण