Thursday, June 30, 2011

सवालों की तरह

सवालों की तरह
तुम गुजरे मेरी जिदगी से ख्यालो की तरह
चंद यादे है तेरी मेरे पास सवालों की तरह
क्या था तेरा प्यार ,क्या दीवानगी तेरी
तुमने देखा मुझे देखने वालो की तरह
मुझ मे है मय इसे पियो रिन्दों
मेरी जिन्दगी से निभाई तूने प्यालो की तरह
प्यारा सा घर था मेरे अरमानो का सनम
उस पे मेरे हालात थे बंद तालो की तरह
जवानी मे लगा था अब खा छोड़ेगा अर्पण
प्यार जिन्दगी को खा गया जनगालो की तरह
राजीव अर्पण
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गम ना कर
आखिर मार ही डाले गा तेरा गम ,गम ना कर
मुझे यू जिन्दा देख के ,परेशान ना हो आहे भर
मेरा दिल जलाया तूने तो मै भी जल जाऊ गा
जालिमो की बस्ती मे उजड़ के ही रहे गा मेरा घर
राजीव अर्पण

Monday, June 27, 2011

हिला है

हिला है
तुम से शिकायत है तुम से गिला है
दुनिया मे के क्या मुझे मिला है
वो ख्वाब वो तमनाये जो दिल मे थी
कर के कत्ल क्या दिल कभी सिला है
तू कुछ अच्छा करता तो महकता मै
तेरे कुछ करने पे क्या दिल कभी खिला है
तुझे पुकरता रहा सजदे करता रहा अर्पण
मेरी पुकार से सजदो से तू नही हिला है
राजीव अर्पण

करू या न

करू या ना
तुम्हे दिल मे रख के मै रोया करू या ना
तुम्हे याद कर -कर के मे सोया करू या ना
दिल मे जख्म रिस्ते है ना पूरे हुये ख्वाबो के
आंसू पी के प्रीत से उने धोया करू के ना
वो हसीन ख्वाब जो लगते थे दिल के अंगन मे
तेरी हंसी ,अदायो के बीज अब बोया करू के ना
मै उदास हू ,परेशान हू अपनी यह जिन्दगी से
बता तेरी हसीन अदायो मे खोया करू के ना
तुम्हे देख कर दिल बहल सा जाता है अर्पण
बता तेरे अंजुम मे ,मै होया करू के ना
राजीव अर्पण
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केसे
तुम्हे केसे जिया जाये यह मेरी जिन्दगी
तुम से उलझू या समझोता किया जाये जिन्दगी
वो हसीन ख्वाब ,वो उम्र वो दिन उमगे तरंगे
उन्हें छोड़ दू या साथ ही लिया जाये मेरी जिन्दगी
जो तू गुजरी मेरे साथ है तल्खियो से भरी अर्पण
तुम्हे याद करू या भुला दिया जाये मेरी जिन्दगी
राजीव अर्पण

Saturday, June 25, 2011

पागल दोड़

पागल दोड़
हम पत्थर हो चुके है
समाज .स्भीयता और पेसे की दोड़ मे
शायद एस का किसी को एहसास भी
नही
मै भी सब की तरह इस
दोड़ मे दोड़े जा रहा हू
समाज स्भीयता ने पागल
कर दिया है सब को
एक नशा सा हो गया है सब
दोलत , शोरत
और समाज मै केसे भी नाम पाने का
सब दुसरे को पागल
समझते है
खुद को समझदार
बस एह है भूल
भल-ईया
कुदरत ने सब को
अपने बश मै कर रखा है
कतील हो रहे है
हम दोड़े जा रहे
सब रिश्ते नाते तोड़ के
अर्पण पागल
बहुत समझदार है
दोड़ते रहो
जब तक दम निकल जाये
राजीव अर्पण

Friday, June 24, 2011

अराध्य

अराध्य
यह मेरा है गीत
यह है मेरी प्रीत
यह मेरा है संगीत
यह है मेरा मीत
यह मेरी
साधना नही
साध्य है
यह मेरी आराधना नही
अराध्य है
राजीव अर्पण
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फूट जाते है
जख्म भर जाते है निशान छूट जाते है
धडकने तो रहती मगर दिल लूट जाते
बड़े हसीन होते है वो प्यार के पल छीन
बड़ा बड़ाने की चाहत मे गुबारों जेसे फूट जाते है
राजीव अर्पण

Wednesday, June 22, 2011

निभा कर रहा है

निभा के रहा है
साथ किसने दिया है अपना जिन्दगी मे
अँधेरा ही हम से निभा कर रहा है
प्यार भी अपना उस को भाया नही है
सितम ढाह-ढाह के वो खफा कर रहा है
बड़ीहसरते ले के हम गये थे महफिल मे
वो बातो ही बातो मे दफा कर रहा है
दगा तुमने जो किया तो क्या गजब किया
यहा जिसे भी देखो दगा कर रहा है
बे-बफाई उन की ,उनको दिखलाने आई
के देख अर्पण अब भी बफा कर रहा है
राजीव अर्पण
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भुलाया है
जिस पल से तुम्हे भुलाया है
उस पल से हर पल है याद मुझे
हाय रे मेरा दीवाना पन
कर ना दे बर्बाद मुझे
राजीव अर्पण

Sunday, June 19, 2011

घुट के

घुट के
दिल घुट के मर जाये गे , दुनिया की हवा मे
दवा क्या करे गी , असर तो होता है दुआ मे
हम से हमारे ख्वाबो की दुनीया ना बस सकी अर्पण
हमे तो मरना ही था अर्पण इस मदहोश हवा मे
राजीव अर्पण
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मजाक
हमे क्या पता ख़ुशी होती है क्या
अपना तो वास्ता सदा गम से रहा
उन्हों ने तो मेरा उड़ाया तथा मजाक
मैंने बार -बार पूछा सनम क्या कहा
राजीव अर्पण
जेसे आप होते है वेसी ही दुनीया नजर आती है
इंसान ,तब अपने को पागल समझता है जब उस
के विचार बदल जाते है ,और वह अपनी पिछली
जिन्दगी पे नजर दोडाता है
दिल को दबाना जिन्दगी से धोखा है
राजीव अर्पण

गीत गा लू गा

गीत गा लू गा
मै कोई गीत गा लू गा
अपने दिल को सह्लालू गा
दर्द होगा तो हंस लू गा
तेरा दर्द दिल मै छुपा लू गा
आना ,बेशक अजमाने ही
मै पलको पे बिठा लू गा
हकीकत पे ना सही जोर अपना
मै तेरे ख्वाब सजा लू गा
प्यार सदा मिट के जवान होता है
तेरे नाम पे खुद को मिटा लू गा
तब तो मेरा दामन पाक होगा
जब दिल को दामन मे बिठा लू गा
आदत भी क्या कभी जाती है
तुम्हे याद करना आदत बना लू गा
दिल के धडकने से है जिन्दगी
तुम्हे धडकन मे बसा लू गा
मुझ पे हंसे गी यह दुनिया अर्पण
तो मे भी खुद पे मुस्करा लू गा
राजीव अर्पण

Thursday, June 16, 2011

बिखरा दिया

बिखरा दिया
सुबह ही फूल चूम कर तूने बिखरा दिया
जालिम,साजन बन के यह तूने क्या किया
महकना था इसे अभी दिल मे हसरते थी बाकी
नफरत की तपश मे इसे क्यों जला दिया
माना के इश्क की अंगडाई या दुनिया मे है गलत
तुम तो साजन थे तुमने दीवाने को क्यू ठुकरा दिया
महक तो मीठी थी मगर तेरा सूघना था गलत
तुमने उसे ,उस ने तुझे फरेब क्यू कर दिया
झुकना ना था उसे तेरे झुकने से पहले अर्पण
ना ही तूने ना ही उस ने ,पहले सिर झुका दिया
राजीव अर्पण

तू ही बता

तू ही बता
जब तुम से नजर मिल जाये
तो आईना मुझ से कहता है
यह सच है अरे बांबरे
तू उस के ,वो तेरे दिल मै रहता है
महक जाये अर्पण तेरा रोम -रोम
उसकी प्यारी एक नजर से
दिल से प्यार का सुंदर चश्मा
तेरे मुखड़े पे आके वहता है
जब तुम से नजर मिल जाये
ऐसा जीने का एहसास होता है
जेसे फूलो को होता है बहार मे
महक की तरह बिखर जाते है
ख्वाब जिन्दगी के गुलजार मे
मुरझाता है तो बिरहा गाता है
क्या करे बहार की इंतजार मे
मेरे महबुब मुझे तू ही बता
क्या ऐसा ही होता है प्यार मे
अर्पण राईट गरुप को समर्पित
राजीव अर्पण