Saturday, July 2, 2011

गिला

गिला
तुम से क्या गिला जो जिन्दगी रूठ गई
हम दीवाने होते ही है जिन्दा दबाने के लिये
मै अपनी गमगीन जिन्दगी पे रोया नही
इतने दर्दीले अश्क ना थे बहाने के लिये
सच मेरे महबूब हम दिल से रूठे ना थे
हम तो रूठे थे सिर्फ तुम्हे मनाने के लिये
उस प्यारे से मुखड़े पर गिला केसे करू
उसी ने मुझे पास बुलाया ठुकराने के लिये
हम क्या है हम खु भी नही जानते अर्पण
सुना है बांबरे ठहरे इस जमाने के लिये
तन्हा मे बे-रह्मिया जानी मुहब्बत की मैंने
अब मुझे प्यार ना कर और सताने के लिये
तेरी बे -वफाई ने सारी दुनिया बे-वफा बना दी
कोइ मेरे पास ना आये मुझे समझाने के लिये
बिना मकसद बिना बात गजले लिखता नही अर्पण
तुम्हे याद करने का बहाना बनाने के लिये
राजीव अर्पण

1 comment:

  1. I WRITE SO MANY ABOUT MY RELATION WITH FACEBOOK EVERY THINK DO BUT FAULT IN ME LOOK EASILY SO MAKE RULES FOR ME AND NEGLECT ME I KNOW SEVERAL I.D HAVE NO FAKE HAVE THOUSANDS FRIENDS THANKS I NOT KNOW RELATION BETWEEN YOURSELF AND FACEBOOK RAJIV ARPAN

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