Mausam by Rajiv Arpan
Wednesday, July 27, 2011
तरगे
तरंगे
तेरी
आँखों
से
जो
निकलती
है
तरंगे
मेरा
दिल
तरंगे
झंझोड़
जाती
है
तेरे
अंग
अंग
से
जो
निकलती
है
उमंगें
दिमाग
का
दिल
से
रिश्ता
तोड़
जाती
है
तुम्हे
पाने
की
तडप
तुम्हे
मिलाने
की
ललक
हाय
इतनी
बेताबी
मुझे
नचोड़
जाती
है
राजीव
अर्पण
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