Saturday, July 2, 2011

शाम शमेगी आई

शाम शमेगी आई
मै शाम शमेगी आई
शमेगी आई
सब के दिलो को मै ही भाई
एडी से जब जमीन हिलाई
मै शाम शमेगी आई
शमेगी आई
झूमी नाची और गाई
दुनिया पे मै ही छाई
मै शाम शमेगी आई
शमेगी आई
शाम के संग लीला रचाई
हर घर मे धूम मचाई
मै शाम शमेगी आई
शमेगी आई
सब के दिल मे ,मै समाई
जब मेने ली अंगडाई
मै शाम शमेगी आई
शमेगी आई
जवानी की भीड़ मे
मै तो सुक्चाई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
बूडो के अरमानो पे
हाय मै तो लजाई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
नोटों की गडिया
मेरे हुस्न पे लुटाई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
सब को नचा के
धीरे से उठाई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
तोड़ जा मेरी तन्हाई
और कर रुसवाई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
दुनिया सारी ठहराई
माथे पे जो बिंदिया लगाई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
जवानी मुझ पे लुटाई
मैंने जो चुनरिया हटाई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
सब की पतंग कटाई
जब मैंने जुल्फ लहराई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
अर्पण से प्रीत लगाई
गोद मे ,मै अलसाई
मै शाम शमेगी आई
मै शमेगी आई
राजीव अर्पण

1 comment:

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