Mausam by Rajiv Arpan
Wednesday, June 1, 2011
साथ-साथ
साथ
-
साथ
गरीबी
और
निराशा
साथ
-
साथ
चलते
रहे
ऐसे
आंगन
मै
हम
गम
के
साये
मै
पलते
रहे
दुनिया
की
सब
चीजे
हमारा
दिल
जलाने
को
थी
हम
अर्पण
पा
ना
सके
दूर
खड़े
हाथ
मलते
रहे
हर्षिता
स्तेवे
को
समर्पित
राजीव
अर्पण
1 comment:
Unknown
April 24, 2013 at 11:06 PM
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