आसमान से
गिर के आसमान से वो कहता है चोट नही आई
जब के गिरा है इतना नीचे देखी जाये ना गहराई
मर गया वो तमन्नाओ के मरघट मै तडपता
इंसान को आती है मोंत ,तमन्नाओ को जुदाई
गम तो यह है ,उसे गम भी ना देना आया अर्पण
अब गम नही ,जुस्तजू नही चारो तरफ है तन्हाई
मेरी चाहत तो आसमानों तक फेल चुकी थी साजन
यह तेरी बे-बफाई से सिमट गई सुकड गई ल्ज्जाई
दिल की चाहत कभी पूरी ना कर सका अर्पण
मेरा दिल जिन्दगी पे ,मेरी जिन्दगी दिल पे पछताई
स्वाति दुधात,वरेण्य भारदवाज,पूजा शर्मा चंडीगढ़ के नाम
राजीव अर्पण
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