हिला है
तुम से शिकायत है तुम से गिला है
दुनिया मे आ के क्या मुझे मिला है
वो ख्वाब वो तमनाये जो दिल मे थी
कर के कत्ल क्या दिल कभी सिला है
तू कुछ अच्छा करता तो महकता मै
तेरे कुछ करने पे क्या दिल कभी खिला है
तुझे पुकरता रहा सजदे करता रहा अर्पण
मेरी पुकार से सजदो से तू नही हिला है
राजीव अर्पण
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