फजल है
जो तुम कह दो वही गजल है
अर्पण पे अल्ला का कितना फजल है
मजबूरियों,तन्हाईयो से गुजरा हू इस कदर
चोटियों से वहता, गुजरता जेसे जल है
मिला ना मुझेकुछ दुनिया मे आ के
यही मेरी शोख शराफत का फल है
खुशियों,स्फ्लतायो मे सहम जाता हू मै
गम सहने के लिए मुझ मे कितना बल है
अर्पण तू क्यू हरता है हर बाजी पे बाजी
जितने के लिए तुम मे न बल ना छल है
मिशा जैन को समर्पित
राजीव अर्पण
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