तडप
तडप मेरे ही दिल मे होती तो मिट जाती
मगर क्या करे तडप तो उधर भी है
प्यार करता ,ना करता ना सही
उसकी आँखों मे शिकवे का खंजर भी है
मेरे दिल को फना कर ना नही तो और क्या है
शिकवा ,नफरत फिर मुझ पे नजर भी है
एक तरफ तुम बदले मुझे दर्शाना नही चाहते
दूसरी तरफ बदला अपना दिन चर भी है
अब तेरी जिन्दगी मे दो रास्ते है अर्पण
एक तरफ मयखाना दूसरी तरफ मन्दिर भी है
श्वेता कपूर को समर्पित
राजीव अर्पण
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