Sunday, September 4, 2011

भी ना सके

भी ना सके
हालत ऐसे हुये के कुछ हो भी ना सके
रोना चाहिये था मगर रो भी ना सके
वो कम सिन क्या अदाये थी उसकी
उन मे खोना चाहिये था खो ना सके
आपनी मजबूरी, विथाये बताये क्यों कर
उन संग विचरते रहे रात भर सो भी ना सके
कितनी चाहत थी दोनों दिल मे अर्पण
हम उनके हमारे 'हो' वो भी ना सके
ऐसी ही शर्ते थी इस जमाने की अर्पण
करना चाहते थे 'वो' जो हो भी सके
राजीव अर्पण

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