Wednesday, September 28, 2011

जीने दो

जीने दो
जीने दो जीने दो आज मुझ को जीने दो
होठो से हसरत के जाम मुझ को पीने दो
वक्त के तकाजे ने सीना छलनी कर दिया
पास बेठो प्रीत से जख्मो को सीने दो
राजीव अर्पण
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शिकवा
तुम से शिकवा शिकायत होगी
शायद मुझे तुम से मुहबत होगी
तुम से मिल ना पाया सनम
इस के पीछे मेरी ग़ुरबत होगी
राजीव अर्पण
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मुझ से इतनी
********** इतना गुरेज क्यों है
मेरे आस -पास तो रहते हो
*******मुझ से मिलने से परहेज क्यों है
राजीव अर्पण

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