Thursday, September 8, 2011

कुछ

कुछ
गम था बस एक तेरा गम था
दुनिया भर का गम था
और कोई हमदम ना था
क्या यह कम ना था
लोटा दे वो मेरा गम लोटा दे
छिन्न ले या रब ये सारी खुशिया
मुझे मेरा हमदम लोटा दे
राजीव अर्पण
***************
ना
रोना चाहिये था मगर रो ना सका
जो होना चाहिये था वो हो ना सका
राजीव अर्पण
*****************
शायद
जिन्दगी के बाद शायद
मोंत इतनी हसीन है
के जहा से कभी कोई
वापिस ना आया
राजीव अर्पण

1 comment:

  1. I WRITE THESE POEM NOT MEAN I NOT COMPLETE THEM OR GIVE ANOTHER ONE BUT I LOVE THESE TOO SO GIVE AS IT IS THANKS READER AND SITES I RECEIVED YOUR COMMENT FROM MY FOLLOWERS AND OTHER SOURCES THANKS A LOTT SITES AND READER AND FOLLOWER WHO HELP ME RAJIV ARPAN

    ReplyDelete