Thursday, September 22, 2011

फितरत होगी

फितरत होगी
मुझ से के मिल तुम्हे कश्दत होगी
शायद तुम को भी मुझ से मुहबत होगी
तू ना मिली मुझ को गम होगा जानेमन
कहा भूले गा गम मेरे जीने की फितरत होगी
अब तुम खोये हो जवानी के सरुर मे सनम
मिलना जब कभी मिलने की फुर्सत होगी
मुझे मिलने से तुम्हे क्या रोके है सनम
सुंदर हू संजीदा हू तेरे सामने मेरी ग़ुरबत होगी
गम उठाने का सिला तुम्हे ना देगा अर्पण
मेरा नसीब और यही उसकी कुदरत होगी
भगवान ,कुदरत ,नसीब किस को माने है
बस तेरे आगे यही ना कहने की जुरत होगी
राजीव अर्पण

6 comments:

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  2. तू ना मिली मुझ को गम होगा जानेमन
    कहा भूले गा गम मेरे जीने की फितरत होगी .........
    गम उठाने का सिला तुम्हे ना देगा अर्पण
    मेरा नसीब और यही उसकी कुदरत होगी
    BEHTARIN RACHNA

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  3. बहुत खूब .सुन्दर प्रस्तुति. आपको होली की हार्दिक शुभ कामना .

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  4. हमन है इश्क मस्ताना, हमन को होशियारी क्या ?

    रहें आजाद या जग से, हमन दुनिया से यारी क्या ?


    जो बिछुड़े हैं पियारे से, भटकते दर-ब-दर फिरते,

    हमारा यार है हम में हमन को इंतजारी क्या ?


    खलक सब नाम अनपे को, बहुत कर सिर पटकता है,

    हमन गुरनाम साँचा है, हमन दुनिया से यारी क्या ?


    न पल बिछुड़े पिया हमसे न हम बिछड़े पियारे से,

    उन्हीं से नेह लागी है, हमन को बेकरारी क्या ?


    कबीरा इश्क का माता, दुई को दूर कर दिल से,

    जो चलना राह नाज़ुक है, हमन सिर बोझ भारी क्या ? ___कबीर

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  5. thanks yashoda and all friends for apriation thans alot

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