Thursday, September 1, 2011

पुकारा तूने

पुकारा तूने
मै चला आया जब भी पुकारा तूने
मसीहा की इबादत से गुजारा तूने
मै तो गरक था इन तंग गलियों मे
क्यों मेरा हाथ पकड के उभारा तूने
मै जल जाऊ ,मिट जाऊ फर्क क्या
मै जा रहा था फिर क्यों पुकारा तूने
मर ही रहा था आखरी सांसे तो थी
क्यों बचने के लिए दिया सहारा तूने
मै तो ना कुछ हु ,ना कुछ होंगा अर्पण
तोड़ ही लिया जगमगाता सितारा तूने
राजीव अर्पण
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परहेज क्यू
मुझ से इतनी तल्खी इतना गुरेज क्यू
पास तो आते हो मिलने से परहेज क्यू
राजीव अर्पण

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