Tuesday, June 14, 2011

मुसाफिर

मुसाफिर
हम तो मुसाफिर है दो पल के
चले जाये गे हाथ मल के
चिता के शोलो का क्या खोफ मुझे
जिन्दा देखा है बे-बफाई मे जल के
कल थे सुंदर सपने कल के
आज है जीने के लाले कल के
नर्क का क्या है खोफ मुझे
देखा जिन्दगी मे काँटों पे चल के
देखता है जो भी कागज का टुकड़ा
उस पर दर्ज है साँस पल-पल के
राजीव अर्पण

No comments:

Post a Comment