Wednesday, June 22, 2011

निभा कर रहा है

निभा के रहा है
साथ किसने दिया है अपना जिन्दगी मे
अँधेरा ही हम से निभा कर रहा है
प्यार भी अपना उस को भाया नही है
सितम ढाह-ढाह के वो खफा कर रहा है
बड़ीहसरते ले के हम गये थे महफिल मे
वो बातो ही बातो मे दफा कर रहा है
दगा तुमने जो किया तो क्या गजब किया
यहा जिसे भी देखो दगा कर रहा है
बे-बफाई उन की ,उनको दिखलाने आई
के देख अर्पण अब भी बफा कर रहा है
राजीव अर्पण
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भुलाया है
जिस पल से तुम्हे भुलाया है
उस पल से हर पल है याद मुझे
हाय रे मेरा दीवाना पन
कर ना दे बर्बाद मुझे
राजीव अर्पण

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