Friday, May 27, 2011

जलील

जलील
जलील हो कर जीना पड़ा
जहर हम को पीना पड़ा
प्यार बड़ा ,मिलन के वक्फे बड़े
घड़ी ,दिन फिर महीना पड़ा
जख्मे जिगर सलाहते कब तक
आखिर जख्म सीना पड़ा
क्या मिटे गी दिल से कहानी
जिस मै प्यार का मीणा पड़ा
दे दे घाव जो दे सकता है
ले तेरे आगे यह सीना पड़ा
राजीव अर्पण

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