Saturday, May 7, 2011

लहू

लहू

लहू डाले गा कोई बात मे ,

होंड कांप जाये गे मुलाकात मे ।

चांदनी चाँद की उनको चूमे गी ,

बन-सवर के आयेगे जब रात में ।

लिबास पर भी होगा रूप छाया ,

संगमरमरी बदन झांकेगा बरसात में ,

रात को तो सब ही याद करते है ,

दीवाना तेरा नाम लेगा प्रभात में ।

अर्पण तेरी याद में इतना खो जायेगा ,

की तुम बंधे आओगे जज्बात में ।

राजीव अर्पण

काश मेरे महबूब

मेरे फ्लू में आये होते

तो मैंने गम के

आंसू बहाए होते

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