Monday, May 9, 2011

शक्ल

शक्ल

हम उसकी शक्ल भुला के भी भुला ना सके

मगर फिर भी खी वो ना हों उसका निशान ढूंढा

हम इंसानों की भीड़ मै चीखते चले गये

मगर खी भी कोई भी ना इंसान ढूंढा

ईमान बदलते देखते रहे ,ईमान सिर्फ भूख रही

दुनिया मै क्या ,खुद मै भी यही ईमान ढूंढा

मै भी सुखमय परम पिता परमात्मा की तलाश मै हू

जब की आज तलक किसी ने ना भगवान ढूंढा

दुनिया मे आके अर्पण सब जिया किये

किसी ने कब्रिस्तान तो किसी ने गुलिस्तान ढूंढा

राजीव अर्पण

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