Monday, May 9, 2011

दिल लगी

दिल लगी

दिल लगी थी वो,जो मिटाए न मिटी

खुद को मिटा किया मगर चाहत ना मिटी

दिल को रोका था उन से प्यार करने से

बस फिर उमर भर दिल की हम से ना पटी

ऐ मसीहा तूने मुझे हमदम ना दिया

जिन्दगी ऐसी दी जो काटे ना कटी

जीने के लिए भेजा मगर सामान ना दिया

जिन्दगी अपनी रही जीने से हटी-हटी

सुंदर चेहरा दे के , दाग लगा ही दिया

जेसे हाथो मे लकीरे कटी - फटी

लिखी है सेंकडो गजले अर्पण मैंने

किसी को सुनाने के लिए एक ना रटी

राजीव अर्पण

1 comment:

  1. IN THIS PAGE SEE PHOTO YOU CAN SEE A GIRL ALSO IN KACTES ,THIS POTOSPECIALY MAKE FOR MY BOOK GAMA DA BANJARA ,APUNJABI POETRY BOOK RESPECTED GREAT POETAND PAINTER AMAR CHITRKAR THOUSE DAY ,PREPARED THIS TITLE PICTURE FOR ME ,SEE WRITE IN PUNJABI GAMA DA BANJARA ALSO NY NAME RAJIV ARPAN BUT NOW HAVEI AND MY PUBLISHER ONE PIECE SO NO FOR SALE PARMOTION RAJIV ARPAN

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