Wednesday, May 4, 2011

gazal

ग़ज़ल

वो जो महफ़िल में हो तो क्या माने शराब आये,

चूम लो, चूम लो हर तरफ से येही जवाब आये।

गुज़र जयो जिन आँखों से उस दिल से आवाज़ आये ,

हुस्न, हुस्न, वही हुस्न, हुस्न लाजवाब आये।

भोलेपन से अदब से जो तुने कहे अल्फाज़,

उनको सुर-ताल से चूमने बजते रबाब आये।

हुस्न तेरा बेमिसाल सच लाजबाब तोबा।

जिसके आने से गुंचों पे भी शबाब आये,

तेरी आँखों की तारीफ क्या करे अर्पण,

जिन को सर पे बिठा के दो महकते गुलाब आये।

राजीव अर्पण


ना ढूंढ़

ना ढूंढ़ दीवाने आईने दिल के,

लोग लुट लेंगे तुम्हे मिलके।

महक बांटने पर तेरा भी वो हाल होगा,

जो होता है बेचारे फूल का खिलके।

राजीव अर्पण






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