Monday, May 16, 2011

नादानी

नादानी
एक बार मुड़ के देख नतीजा जवानी का
लफ्ज-लफ्ज रोता है , तेरी कहानी का
नादानी मै दिल ने उनकी निगाहे चूम ली
फिर ना पूछ ,क्या हल हुआ तेरी जवानी का
कुछ भी नही तेरे पास अब अश्को के सिवा
सब कुछ उड़ा के ले गया जोश उमर तूफानी का
माँ -बाप का ना रहा ,घर घाट का ना रहा
तेरे पे क्या जादू चल गया था उस मस्तानी का
सच तुने काम की उमर को हराम कर लिया
बर्षो बाद उतरा है नशा प्रीत दीवानी का
अब क्या ढूंढे है खाक भी ना रही बाकी
तू क्या उसने दिल रखा ना तेरी निशनि८का
तू बड़े चर्चे करता था प्रीत के अर्पण
देख ले क्या हल हुआ तेरी प्रीत रूहानी का
राजीव अर्पण

1 comment:

  1. see my bio data my photo all things about me this is back of my title of my book in punjabi gama da banjara in young age. my life is open book nothing to left in secarte wish you happy life readers rajiv arpan

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