Sunday, May 29, 2011

शायर

शायर
तेरे जुल्म को इस दिल पे सहूगा
मगर मै शायर हु , चुप -चाप ना रहूगा
हम गम खा के सदा जवान हुए है
तेर जुल्म की कहानी दुनिया से कहू गा
आत्मा अपनी जुल्मो से दबती नही
मै फनकार हु फन से तुम्हे जलील करू गा
रोये गी तेरी आत्मा जब मै गीत गाऊ गा
सजा बन के तेरी आँखों मै आंसू भरु गा
हम गम के बंजारे दुखियो का दर्द अपनाते है
अपने जुल्म से वो मरेगा ,अर्पण मै ना मरु गा
राजीव अर्पण
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जवानी
जवानी मे एहसास होता है हम भी कोई चीज है
सो गुनाह करने पे भी लगता है हम अभी पाकीज है
राजीव अर्पण

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