Friday, May 6, 2011

ग़ज़ल

ग़ज़ल

अगर कोई बात नही , तो कातिल नयन मिलाया ना करो ,

उसका दिल है ,दिल , उस पे सितम ढाया ना करो ।

वो अपने हिन् हालत से कब का हिन् हो चूका है ,

चार सखियों के संग ,उसे देख कर मुस्कुराया ना करो ।

वो पाजी है प्रेम मे कब का दीवाना हो चूका है ,

वो बेचारा मर जायेगा उसे बे-रुखी से पेश आया ना करो ।

अगर तुम पुरे ख्वाब किसी हल मे कर सकते नही ,

तो किसी को इतने हसीन ख्वाब दिखाया न करो ।

किसी का ले के प्यार, खुद जिन्दगी मे बहल जाआया ना करो।

राजीव अर्पण

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