ग़ज़ल
अगर कोई बात नही , तो कातिल नयन मिलाया ना करो ,
उसका दिल है ,दिल , उस पे सितम ढाया ना करो ।
वो अपने हिन् हालत से कब का हिन् हो चूका है ,
चार सखियों के संग ,उसे देख कर मुस्कुराया ना करो ।
वो पाजी है प्रेम मे कब का दीवाना हो चूका है ,
वो बेचारा मर जायेगा उसे बे-रुखी से पेश आया ना करो ।
अगर तुम पुरे ख्वाब किसी हल मे कर सकते नही ,
तो किसी को इतने हसीन ख्वाब दिखाया न करो ।
किसी का ले के प्यार, खुद जिन्दगी मे बहल जाआया ना करो।
राजीव अर्पण
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