तक़दीर
मेरी तकदीर
अंधेरो मै
बेताब रहो की तरह
सुने सायो सी भटक रही है
एक सपनों की जिन्दगी
वो भी है
जो हसीन वादियों मे
भटक रही है
मेरे जीने की
हसीन उमगो पे
गम के बादलछाये है
लाचार लाठी पे लटक रही है
अब रहम कर
सुख का सुवेरा दिखा
मेरी तकदीर
क्यों मासूम अरमानो को
पत्थर पे पटक रही है
राजीव अर्पण
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