दिल लगी
दिल लगी थी वो,जो मिटाए न मिटी
खुद को मिटा किया मगर चाहत ना मिटी
दिल को रोका था उन से प्यार करने से
बस फिर उमर भर दिल की हम से ना पटी
ऐ मसीहा तूने मुझे हमदम ना दिया
जिन्दगी ऐसी दी जो काटे ना कटी
जीने के लिए भेजा मगर सामान ना दिया
जिन्दगी अपनी रही जीने से हटी-हटी
सुंदर चेहरा दे के , दाग लगा ही दिया
जेसे हाथो मे लकीरे कटी - फटी
लिखी है सेंकडो गजले अर्पण मैंने
किसी को सुनाने के लिए एक ना रटी
राजीव अर्पण
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