शक्ल
हम उसकी शक्ल भुला के भी भुला ना सके
मगर फिर भी खी वो ना हों उसका निशान ढूंढा
हम इंसानों की भीड़ मै चीखते चले गये
मगर खी भी कोई भी ना इंसान ढूंढा
ईमान बदलते देखते रहे ,ईमान सिर्फ भूख रही
दुनिया मै क्या ,खुद मै भी यही ईमान ढूंढा
मै भी सुखमय परम पिता परमात्मा की तलाश मै हू
जब की आज तलक किसी ने ना भगवान ढूंढा
दुनिया मे आके अर्पण सब जिया किये
किसी ने कब्रिस्तान तो किसी ने गुलिस्तान ढूंढा
राजीव अर्पण
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