हिम्मत
दे हिम्मत मुझे ,मेने सनम को पाना है
जमाना आगे निकल गया मुझे साथ-साथ जाना है
बेगाने तो बेगाने है उन का क्या कहिये
अपनों ki भीड़ मे हर शक्स बेगाना है
मुझ मे ही थी हिम्मत कम मंजिल खो दी
वरना दुनिया मे कोन सा दूर ठिकाना है
दिल रोता है मेरे टूटते अरमानो पे
अरमान पूरे कर मुझे खुद को बहलाना है
कुछ अरमान दिल मे सिसकते ही रह गये
दे निश्चय मुझे हर अरमान होठो पे लाना है
राजीव अर्पण
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