उस का नाम
दीवारों पे लिख कर उसका नाम
हम रोते रहे ,अरे ओ आसमान
प्यार ढूढने हम घर से निकल पड़े
अँधेरी राहे थी जंगल वियाबान
अरमान मेरे पल-पल मरते रहे
जगह न थी बनाया अलग श्मशान
प्यार ,दिल मे ले के ,उनसे प्यार लेने गये
प्यार मिला ना ,हुआ अपना अपमान
कोइ हम सफर मिलता समझता मुझे
फिर ना यू उजड़ता अर्पण नादान
राजीव अर्पण
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