गिरा दिये
फूल बने,महक बांटी ,मसल कर गिरा दिये
चट्टान हुए ,होसले से,हमने पर्वत हिला दिये
जिन कह्को ने जलते दिल को और जलाया था
हमने कह्का ऐसा लगाया वो कहके रुला दिये
जिन हसीन सपनों ने मुद्दतो ना सोने दिया
आज खुद भी सोये और सपने भी सुला दिये
उनके दिये जुल्म का एहसास तो करा दिया
उनके दिये आंसू हमने उनी को लोटा दिये
अब तुझे याद कर -कर के कभी त्ड्पू गा नही
दिल से तेरी याद के नक्शों निशान मिटा दिये
जला के दिल मेरा ,जो रोशन राते करते थे
उनके रोशन किये हुए फनूस मेने बुझा दिये
अर्पण को ना चीज समझ जो सताया करते थे
आज गरूर मे आ के उनके होसले हिला दिये
राजीव अर्पण
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