बनाओ
उल्फत से भर के आंखे मुझे अपना ना बनाओ
जो महकते वफा से वो ख्वाब ना दिखाओ ,
दिलकश अक्श तो है तेरी झील सी आँखों मै
पा नही सगे गे मुझे बहने से बचाओ
यह ऐसी फिजा है जहा ना मुमकिन बफा है
अपने दिल से पूछो मेरा दिल ना दुखाओ
यह जो डोर चल रहा है डोर सिक्को का
ना आत्मा की सुनना ,नाआत्मा की सुनाओ
गुजर हो जाये गा मोहबत बिना ,रोटी मगर चाहिये
हम ग़ुरबत के मारों को मोहबत ना सिखाओ
पैसा मांगती है यह आज की मोहबत
पैसा अगर नही है तो इसे मुह ना लगाओ
आज की मोहबत मांगे एशो इशरत
कुछ पाक रहो के किसे अर्पण को न सुनाओ
राजीव अर्पण
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