खत
खत प्रेम के लिखते रहे महीनों रात भर
मगर दुनिया मे हमारा कोई हमसफर ना था
हम दिल के जज्बात कहते रहे दीवरो से
कोई दिल कहने वाला हाय मुकरर न था
हम घूमा किये नगर-नगर ,शहर-शहर
जन्हा प्यार मिलता कोई ऐसा नगर ना था
अल्लाह तेरे जन्हा मे एक अजीब चीज देखी
प्यार था सब के पास लेने वाला मगर ना था
दुनिया जानती थी के यह उस का दीवाना है
पर हाय अर्पण दीवाना ,उस की नजर ना था
राजीव अर्पण रईट अस ऍम ग्रुप को समर्पित
राजीव अर्पण
No comments:
Post a Comment