सच सच है
बुरे नसीब नाम दिया है ,मेरी लिखत को मेरे प्यारो ने
पढ़ा होगा सोचा होगा ,तभी तो सहारा दिया इन सहारों ने
हा इस मे ऐसा ही लिखा है मै इनकार नही करू गा दोस्तों
यह गीत बोलते है ,आप भी सचे हो ,नसीब जलाया बहारो ने
मै तो जीये जा रहा हू उस की दी हर मुश्किल मे दोस्तों
मेरे दिल से पडदा उठाया है ,आप के महान परोप्कारो ने
हा लुटा है हर कदम पे लुटा है अर्पण तू मानता है तुझे
तू सच से मुह ना फेर तेरा नसीब दिखाया है इन सितारों ने
सच-सच है ,कडवा क्यों कर ,अमृत जान के पी ले अर्पण
शिकवा नहीअदब,तुझ से दिन कटवाये तेरे कर्म मारो ने
राजीव अर्पण
सिस्टम तथा उस को चलाने वालो को तुच्छ भेंट
राजीव अर्पण
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