जो मिल सके ना
वो है पागल सा ,जो बिन बात प्यार करता है
जो मिल सके ना उसे ,उसके लिये आहे भरता है
उस को क्यों मारे है यह जाहिल तोर तरीको से
वो तो पहले ही बिन बात तुम पे मरता है
वो तो टुटा हुआ फूल है बिखरायो ना सनम
उसको क्यों बिगड़ते हो जो तुम्हारे लिये सवरता है
तुम मेरे कोन हो यह तो मै भी ना जानू
तुम से ही खुशिया मिलती है ,तुम से ही गम उभरता है
रहने दो मेरे पास प्यार का भरम तो रहने दो
तन्हा है बे-बस है ,पहले ही कब समय गुजरता है
ठीक वो नमूना है वो कब तुम से झगड़ता है अर्पण
पर है प्रीत का नही तो कोन चुप -चाप जिन्दगी हरता है
राजीव अर्पण
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