इन्तहा
मेरी जान प्यार की इन्तहा कर दो
वही जान निकले ,वही नक्श धर दो
मै तेरे प्यार से डगमगा सा गया हू
दुनिया से खिचो,इश्क रगों मे भर दो
दुनिया मे सजनी बहुत प्यारी है चीजे
सब से प्यारा इश्क मेरे साथ वर दो
मै हँसते -हँसते जन्जाले दुनिया को छोडू
अपने दिल को मुझे छोटा सा घर दो
जलन से अर्पण दर बदर ना भटके
खुला जो इसे तुम अपना दर दो
राजीव अर्पण
*****शरिया सरन को समर्पित
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नया
नया -नया कुछ नया होना चाहिये
मुझे तुम मे ,तुमे मुझ मे खोना चाहिये
हा तक़दीर के बारे सोचे गे कभी अर्पण
हर वक्त तकदीर पे नही रोना चाहिये
शरिया सरन को समर्पित
राजीव अर्पण
Kya baat hai bahut acchi kavita
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