Tuesday, May 17, 2011

बाराते

बाराते
हम किस से कहे दिल की बाते
हाय केसे गुजरे तन्हा राते
दिल दूल्हा गम की घोड़ी पे बेठा
जब बदकिस्मती की जुडी बाराते
दर्द तो अपना हम सफर ठहरा
अच्छे नसीब सदा रहे शर्माते
नाकामियों से दिल नाकाम हुआ
इसे अब दुनिया के रंग ना भाते
जब बांबरा हो अर्पण गम मै घुलता
लोग इसे देख -देख मुस्कुराते
राजीव अर्पण
समुन्द्र
एक समुन्द्र है शब्दों का जिसे रोक रहा हू
दिल को हर तमन्ना पे मै टोक रहा हू
जिस्म हो के हो किसी भट्टी का इधन
खुद को अर्पण इस तरह आग मे झोंक रहा हू
राजीव अर्पण

1 comment:

  1. oh god a boy told me all our school boys and girls read your blog i surprise i confirm this no his school but every school and collage even engeering collage and other read i socked i am not famous among them . but this happened i famous among my city boys and girls too much. i think this is happened because free INTERNET connection on Sim for three month but this happened i not calculate but thousand boys and girls read of my city i confirm it rajiv arpan

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