पहलू
तू ही तू मेरे हर पहलू पे छाई हुई है
जेसे बगिया बरसात मै नहाई हुई है
सच तेरी शबनमी मुस्कान ने सनम
मेरी हर तमन्ना रिझाई हुई है
तुमजो मुस्करा दो तो मै यह समझू
मेरी तक़दीर मुझ पे मुस्कुराई हुई है
मै कभी जिन्दा ना रह सकू गा सनम
अगर ख्वाब मै भी तू पराई हुई है
तू जो आई है पहलू मै मेरे अर्पण
तो हर गुंचे पे बहार आई हुई है
तेरी सुन्दरता ,तहज़ीब व लयाकत से
मुसब्बर की नजर भी शरमाई हुई है
राजीव अर्पण
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