लहू
लहू डाले गा कोई बात मे ,
होंड कांप जाये गे मुलाकात मे ।
चांदनी चाँद की उनको चूमे गी ,
बन-सवर के आयेगे जब रात में ।
लिबास पर भी होगा रूप छाया ,
संगमरमरी बदन झांकेगा बरसात में ,
रात को तो सब ही याद करते है ,
दीवाना तेरा नाम लेगा प्रभात में ।
अर्पण तेरी याद में इतना खो जायेगा ,
की तुम बंधे आओगे जज्बात में ।
राजीव अर्पण
काश मेरे महबूब
मेरे फ्लू में आये होते
तो मैंने गम के
आंसू बहाए होते
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