ग़ज़ल
वो उम्र भर रोया नही,
क्या उसे कोइ गम ना था ।
गम सहने के लिये दम था ,
मगर रोने के लिये दम न था ।
वो तदप कर जी रहा था ,
मजबूरियों से भरी जिन्दगी,
कम थी उस के हाथ मे लकीरे ,
वरना उस मे कुछ कम न था ।
क्या उस मे जज्बात नही थे ,
क्या वो दिल वाला ना था ।
तलवार सी दुनिया रही ,
उस का कोइ हम दम न था ।
सितारों को समर्पित ।
राजीव अर्पण
No comments:
Post a Comment