गीत मेरा
अब तुमे और तुम्हारे सपने
याद करते हुए डर सा लगता है
कही देख के हसीन रगीन दुनिया
दिल यह गमगीन दुनिया ना लुटा बेठे
अब तुमे और तुम्हारे सपने ॥
अब जवानी का वो खून ना रहा
वो बे-फिकरिया सकून ना रहा
फर्क देख के जमीन असमान सा
दहशत से दिल,दिल ना बेठा बेठे
अब तुमे और तुम्हारे सपने
ख्वाब हकीकत ना हो के जहर बन गये है
जो थे दिल का सकून कहर बन गये है
उन मे जीना फिर भी इस से बेहतर है
डर है हकीकत मे जिन्दगी ना गवा बेठे
अब तुमे और तुम्हारे सपने ॥
तुमे याद कर के जीना अच्छा लगता है
आहे भर के आंसू पीना अच्छा लगता है
याद वेसे नही आती ,वो दीवानगी नही छाती
जेसे तुम से उससे भी ठोकर खा बेठे
अब तुमे और तुम्हारे सपने ।**
राजीव अर्पण
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